: गजब कहानियां हैं यूपी के बड़े बाबुओं की, दायित्व सम्भालने के बजाय मौज लेने के लिए पोस्टिंग लेते हैं : फैजाबाद और जौनपुर के जिलाधिकारियों का किस्सा फर्क और असलियत जाहिर कर देता है : कहानियां जो शर्म और गर्व के बीच खाई बताती हैं :
कुमार सौवीर
लखनऊ : प्रशासनिक अफसरों को ताश के पत्तों की तरह फेंटना सरकार के दायित्वों में शामिल होता है। चाणक्य तक इस बारे में प्रवचन दे चुके हैं। योगी सरकार ने भी यही किया। अक्षरश:। उन्होंने दो बड़ा बाबुओं, यानी जितने भी आईएएस अफसरों को फेंटा, उनमें से दो का किस्सा हम आपको बताते हैं। हुआ यह कि इन दोनों ही जिलाधिकारी बनाये गये। मकसद था कि लोक-प्रशासन को मजबूत करेंगे, सरकार की प्राथमिकताओं को पूरा करेंगे और आम आदमी को प्रशासनिक तौर पर होने वाली दिक्कतों का निपटारा करेंगे। लेकिन हुआ यह कि एक तो सूरज बन कर दमके, जबकि दूसरे की हालत तो चंद्र-ग्रहण जैसी हो गयी। घुप्प अंधेरे में ही छुप गया वह बड़ा बाबू।
मामला है फैजाबाद और जौनपुर का। हालांकि लट्ठबाज अभय जो बहराइच से होते हुए रायबरेली की कुर्सी तक पहुंचे, जुल्फी प्रशासन के नाम पर मशहूर भानुचंद्र गोस्वामी जौनपुर से नियोजन और उसके बाद पता नहीं किस अनजानी राह पर कहां चले गये। लखीमपुर-फैजाबाद वाली मेकअप गर्ल किंजल सिंह का भी पता नहीं है। यह सब के सब किसी नॉनवर्किंग में हैं, जहां आम आदमी से कोई लेनादेना ही नहीं होता। ऐसे लोगों की लिस्ट बहुत लम्बी है, ज्यादा चर्चा का कोई औचित्य तक नहीं बचा है अब।
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तो हमारी चर्चा का विषय हैं वह जिलाधिकारी जो फैजाबाद और जौनपुर में हैं। तीन दिन पहले ही फैजाबाद के डीएम को पता चला कि वहां के जिला अस्पताल का मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अपना काम करने के बजाय, दीगर निजी नर्सिंग अस्पतालों-हस्पतालों में मरीजों को देखने के नाम पर पैसा ऐंठ रहा है। सरकारी अस्पताल से मरीजों को इसी नर्सिंग अस्पतालों में बुला कर पैसा लिया जा रहा है।
यह खबर मिलते ही फैजाबाद का जिलाधिकारी सक्रिय हो गया। अगले ही दिन सुबह ही वह डीएम एक नर्सिंग हॉस्पिटल जय गुरूदेव अस्पताल पहुंचा और चारों ओर के गेट बंद कर छापा मार दिया। पता चला कि सीएमएस साहब अंदर ही हैं। डॉक्टर साहब बरामद हुए, बोले कि मैं तो अपने एक रिश्तेदार को देखने आया था। लेकिन सीसीटीवी में पता चला कि यह सीएमएस तो बहुत बड़े वाले निकले। दर्जनों मरीजों को देख कर पैसा की उगाही में जुटे थे।
जबकि जौनपुर में उसका ठीक उल्टा हो गया। पता चला कि एक महिला का कन्या भ्रूण-परीक्षण के बाद उसका गर्भस्थ भ्रूण का समाधान यानी एबॉर्शन की तैयारी चल रही है। यह खबर किसी और ने नहीं, बल्कि अपने विश्वस्त सूत्रों के अनुसार प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम ने जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र को पहले उनके मोबाइल पर दी थी। लेकिन पता चला कि उनका फोन उनके चपरासी ने सम्भाल रखा है और साहब विश्राम कर रहे हैं। यह करीब साढ़े नौ बजे सुबह की बात थी। उसके बाद हमारे संवाददाता ने डीएम सर्वज्ञराम मिश्र के घर के लैंडलाइन पर फोन किया और बताया कि मामला बहुत संगीन है। तो दूसरी ओर से बताया गया कि साहब विश्राम में हैं। आप अपना नम्बर दे दीजिए, बाद में उनसे बात हो जाएगी।
