: आई एम सॉरी मि सुलखान, लेकिन आप सच नहीं बोल रहे : आईजी की बेईमानी के खुलासे से खुल गयी ईमानदार आला अफसरों की कलई : स्पेशल फोर्स को डिरेल करने की आशंका व्यक्त करने का औचित्य क्या है डीजीपी का :
कुमार सौवीर
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह का नाम यूपी के डीजीपी के तौर पर नहीं, बल्कि उनकी ईमानदार छवि को लेकर जाना-पहचाना जाता है। लेकिन पंजाब की नाभा जेल को तोड़ने की आतंकवादी घटना को लेकर जिस तरह सुलखान सिंह ने एफटीएफ के आईजी की कुर्सी पर जमे आरोपित आईपीएस अमिताभ यश को बचाने की जो कवायद छेड़ी है, उसको लेकर उनकी छवि पर गहरा कुहरा छाने लगा है। इस मामले में सुलखान सिंह का यह बयान खासा विवादित बनता जा रहा है कि, 'ऐसा भी हो सकता है कि स्पेशल फोर्स को डिरेल करने के लिए ये सब घटना सामने आई हो।' इतना ही नहीं, उन्होंने यहां तक कह कर सनसनी फैला दी है कि, 'आईजी को अभी पद से नहीं हटाया जाएगा। पहले जांच की जाएगी। इस पूरे मामले की जानकारी मुख्यमंत्री को है।' उधर खबर यह है कि आईजी द्वारा कुख्यात आतंकवादियों को छोड़ने को लेकर रिश्वत मामले की जांच एडीजी (कानून-व्यवस्था) को सौंपी गई है।
गौरतलब है कि पिछले साल दर्जन भर से अधिक हथियारबंद लोगों ने पंजाब के नाभा जेल पर हमला कर छह खूंखार कैदियों को भगा ले गए थे। जिसमें आतंकी भी शामिल थे। इस मामले में 25 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। आईजी स्तर के आईपीएस अधिकारी पर आरोप है कि गोपी घनश्याम पूरा को पिछले हफ्ते लखनऊ में ही गिरफ्तार किया गया था। घनश्याम की गिरफ्तारी की खबर हरजिंदर सिंह भुल्लर उर्फ विक्की ने अपने फ़ेसबुक पेज पर पोस्ट की, हरजिंदर उन 6 आरोपियों में से 1 है जो नाभा जेल से फरार हुए थे।
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पंजाब पुलिस के मुताबिक गोपी की आखिरी लोकेशन शाहजहांपुर थी। और फिर पंजाब पुलिस को जानकारी हुई कि उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स के आईजी ने गोपी को गिरफ्तार करने के बाद 45 लाख लेकर उसे फरार करा दिया। पैसा लखीमपुर से आया, जिसका इंतज़ाम पंजाब के शराब कारोबारी रिम्पल ने किया। पुलिस महानिरीक्षक का नाम सामने आने के बाद पंजाब पुलिस ने जानकारी आईबी को दी। पंजाब पुलिस और आईबी ने जानकारी यूपी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को दी।
जांच एजेंसियों ने पाया था कि इस डील में सुल्तानपुर के कॉंग्रेस नेता संदीप तिवारी, पीलीभीत के हरजिंदर कहलो, और अमनदीप शामिल है। 15 सितंबर को पंजाब आतंकवाद विरोधी प्रकोष्ठ बल ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया। इस कार्रवाई के दौरान शराब कारोबारी रिम्पल और अमनदीप की कॉल रेकॉर्डिंग भी एटीएस के हाथ लगी है। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के अखबारों और विभिन्न समाचार संस्थानों के अनुसार रिकॉर्डिंग में वे लोग आईजी स्तर के अधिकारी को पैसे देने की बात कर रहे हैं।
खास बात तो यह है कि पंजाब के आईजी इंटेलिजेंस कुंवर विजय प्रताप सिंह ने पूरे मामले की जानकारी और रिकॉर्डिंग उत्तर प्रदेश के डीजीपी और प्रमुख सचिव को सौंपी थी।

दंडवत् प्रणाम् ..क्या
पुलिस कभी गंगाजी
नहायेगी ???
क्या थाने बजरंगबली
की आस्था बनेगे ?
राय ये है कि प्रत्येक थाने
मे एक तिजोरी बनवाना
चाहिये जिसमे रिश्वत
के रुपये सुरक्षित रह
सके ...बिना चढ़ावे के
फरियाद नहीँ होती ..
डंडा पुलिस के हाथ से
हटा दिजीये सब ठीक
होगा ।