: देवरिया ने एसपी के खिलाफ किया एकजुट बहिष्कार का फैसला, खुजौला-कौवा भी नहीं फटका एसपी की प्रेस-कांफ्रेंस में : पत्रकारों के सिर-माथे चटकाने वाले कप्तान ने पत्रकारों को मनाने की हरसक कोशिश की, मगर नतीजा सिफर : पुलिस लाइंस में पत्रकारों के लिए आयोजित किया गया था आलीशान भोज :
कुमार सौवीर
देवरिया : इसे कहते हैं एकजुटता। पहली बार पत्रकारों ने पुलिस के खिलाफ बिगुल बजा दिया, ऐलान कर दिया कि जब तक एसपी पत्रकारों पर लाठीचार्ज करने के लिए बिना शर्त माफी मांग कर हमलावर सीओ और कोतवाल के खिलाफ आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज नहीं करेंगे, उनकी एक भी प्रेस-कांफ्रेंस में एक भी पत्रकार नहीं जाएगा। टोटल बहिष्कार।
हालांकि पत्रकारों को मनाने-समझाने की अपनी कवायदों के तहत पुसि लगातार अपनी कोशिशें कर रही है। लेकिन पत्रकार फिलहाल तो टस से मस नहहीं होने को तैयार हैं। सोमवार को इसी मसले में एसपी ने पत्रकारों को मनाने-समझाने तथा अपनी बात कहने के लिए पुलिस लाइंस के मनोरंजन कक्ष में एक प्रेस-कांफेंस आयोजित की थी, लेकिन सारे के सारे एकजुट पत्रकारों ने कप्तान को एक सिर से ठेंगा दिखा दिया। कप्तान ने पत्रकारों से हाथ जोड़ कर गिड़ागिड़ाते हुए अनुनय-विनय किया कि आप सभी गणमान्य पत्रकार लोग भोजन कर लें, लेकिन पत्रकारों ने एक सुर में जवाब दिया:- भक्क
देवरिया में पत्रकारों पर बर्बर लाठीचार्ज कराने वाली पुलिस के वर्तमान पुलिस अधीक्षक राकेश शंकर से जुड़ी खबरों को देखने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:-
नगर निकाय चुनाव के मतगणना के दौरान मतगणना स्थल पर देवरिया पुलिस का शर्मनाक करतूत देखने को मिला।मतगणना स्थल पर प्रशासन के बदइंतजामी को छुपाने में लगे सदर सीओ और कोतवाल ने पत्रकारों के साथ दुर्भाग्यपूर्ण व्यवहार किया।मतगणना स्थल पर बने पत्रकार सेल में घुसपैठ कर सीओ संदीप सिंह और कोतवाल राय साहब यादव ने पत्रकारों समेत भाजपा नेताओं और अधिवक्ताओं पर लाठियां बरसाई।जिससे मतगणना स्थल पर भगदड़ सा मच गया।लाठीचार्ज के दौरान देवरिया के मान्यता प्राप्त पत्रकार चंद्र प्रकाश पाण्डेय और दैनिक हिंदुस्तान के पत्रकार अजय राय समेत दर्जनों पत्रकारो समेत जिला बार एसोसिएशन के सदस्य नितेश पांडेय गंभीर रूप से घायल हो गए। पत्रकार सेल में मौजूद दर्जनों पत्रकारों पर भी साजिश के तहत लाठियां बरसाई गई। कैमरे तोड़े कुर्सियां फेंकी और गालियां दी। वहाँ का मंजर देखने पर ऐसा लग रहा था कि मानो लूटपाट करने वाले गैंग पुलिस की वर्दी पहने लूटपाट कर रहे और उत्पात मचा रहे हो।
यही नही, लाठीचार्ज करने में मशगूल पुलिसकर्मियों ने वहा मौजूद दर्जनों पत्रकारों समेत मतगणना ड्यूटी कर रहे दर्जनों कर्मचारियों और अधिकारियों को भी जमकर धोया।लेकिन लोक लज्जा के कारण कोई भी अपनी पैंट उतार कर लाठी के दाग दिखाने और किसी से कुछ बताने को तैयार नही है।अब तक समझ नही आया कि सीओ और कोतवाल ने पुलिसकर्मियों को कौन सी ऐसी उत्तेजना की बूटी खिला दी कि पुलिसकर्मियों ने उप निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार पीडब्ल्यूडी के एई केसरी प्रकाश पर लाठियां तानी,एसडीएम राकेश सिंह एडीएम प्रशासन वीके दोहरे को समेत कई अधिकारियों को धकेल भी दिया।हालांकि किसी प्रशसनिक अधिकारी ने खुल कर अपनी पीड़ा को अब तक नही बताया है।
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लाठीचार्ज के बाद खून से लतपत पत्रकार चंद्र प्रकाश पाण्डेय को देख वहाँ उपस्थित कुछ आक्रोशित पत्रकार साथियों ने जब सीओ से पूछा कि पत्रकार सेल में घुसकर लाठीचार्ज करने का आदेश किसने दिया तब सीओ संदीप सिंह और कोतवाल राय साहब यादव कांपने लगें जैसे उनकी हालत आगे गिला पीछे पिला वाली हो गई हो और वो वहां से दुम दबाकर भाग खड़े हुए। लाठीचार्ज की घटना के बाद एक तरफ अपने आदत से मजबूर कुछ पत्रकार कमांडो तेल लिए सीओ और कोतवाल की तबातोड़ तेल मालिश में जुट गए कि आप लोगो ने बड़े अच्छे से सब कुछ डील कर लिया और इसका परिणाम कुछ नही होगा। ये सब तो चलता रहता है।
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वही दूसरी तरफ खबर है कि पुलिसवाले इस मामले में पत्रकारों, वकीलों और नेताओं पर फर्जी मुकदमे लादने की जुगत भिड़ा रहे हैं। एक पत्रकार का कहना है कि एसपी ने सीओ और कोतवाल से बात कर कहा है कि कहीं से महिला पुलिसकर्मी के साथ छेड़खानी का वीडियो फुटेज लाओ जिससे इस मामले को दूसरा रूप दिया जा सके। लेकिन सच तो ये है कि मतगणना स्थल के मुख्य गेट पर किसी भी महिला पुलिसकर्मी की तैनाती नही थी। मुख्य गेट पर ड्यूटी बजा रहे सिपाही या तो सोने में मशगूल थे और कुछ महिलाओं पर भद्दे कमेंट पास करने में।
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