: हर रात कप्तान के सीयूजी नम्बर से होती है मुशायरे की बारिश : सटीक निकला कप्तान का कुटिल-अस्त्र, देवरिया के पत्रकार दो-फाड़ : कमांडो तेल और 90 नंबर का मोबिल साथ लिए घूमने वाले पत्रकारों को एसपी के दावत में खाना ना खा पाने का मलाल :
गौरव कुशवाहा
देवरिया : पत्रकारों अधिवक्ताओं समेत भाजपाई नेताओ पर बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज की घटना की रात जिले के एसपी राकेश शंकर ने अपनी दर्द भरी शायरियों से कई वाट्सएप्प ग्रुपो में गुलजार किया था। साथ ही अपनी इश्क भरी शायरियों से ये भी साबित किया था की पुलिस द्वारा मनमानी करते हुए पत्रकारों अधिवक्ताओं और सत्ताधारी नेताओं की पिटाई और दुर्व्यवहार जिले के एसपी के लिए कोई माईने नही रखतीं हैं। एक गंभीर घटना के बाद एसपी द्वारा घटना के ही आधी रात में वाट्सएप्प ग्रुपों में इश्क के ठहाके लगाने जैसी घटिया करतूत जब प्रदेश भर में सोशल मीडिया के जरिये वाइरल होने लगी तब एसपी साहब को ये अंदाज हुआ कि उन्होंने लाठीचार्ज की घटना की रात कुछ ज्यादा ही ले ली थी। एसपी के इस रवैये से खार खाये हुए लाठीचार्ज से जख्मी पीड़ितों ने एसपी राकेश शंकर की जमकर भर्त्सना की।
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पत्रकारों के जख्मों पर एसपी ने मरहम तो नही लगाया बल्कि अपनी इश्क़ वाली शायरियों से पत्रकारों को उन की औकात जरूर दिखा दी। इस मामले को बढ़ता देख और अपनी रात की करतूतों को छिपाने के लिए एसपी साहब ने 4 दिसम्बर को प्रेस कॉन्फ्रेंस के बहाने पत्रकारों के लिए डिनर पार्टी का आयोजन किया जिसका एसपी से खार खाये पत्रकरो ने जमकर बहिष्कार किया गया। साथ ही वाट्सएप्प के जरिये डिनर पार्टी में ना जाने के लिए पत्रकारों को नसीहत भरे कड़े संदेश भी भेजे गये। आखिरकार जिले के सभी पत्रकारों ने एकजुट होकर एसपी के डिनर पार्टी का टोटल बहिष्कार किया। लेकिन जिले के कुछ कमांडो तेल और 90 नंबर का मोबिल साथ लिए घूमने वाले पत्रकारों को एसपी के दावत में खाना ना खा पाने का मलाल साफ देखने को मिला।
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वाट्सएप ग्रुपो में एसपी के डिनर पार्टी में ना जाने के लिए पत्रकारों ने आक्रोशित होकर खूब जुमलेबाजी की जो कि पत्रकारों के सम्मान और हित को बनाये रखने के लिए जायज भी थीं। मामला ये हैं कि एक तरफ पुलिस माँ बहन की गाली देते हुते पत्रकारों को बेरहमी से पिटती है जो कि जिले के कुछ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों को ठीक लगता है। वहीं दूसरी तरफ एसपी के डिनर पार्टी के में ना जाने के लिए अगर ये कहा जाता है कि माँ बहन की गाली देने वाले के यहाँ कौन जाए खाना खाने समेत इस संदर्भ की अन्य बाते जिले के कुछ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों बुरी लग जाती है।
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ऐसे वाक्यों से प्रतीत होता है कि ऐसे पत्रकारों को पुलिस की गाली सुनना और बर्बरता मंजूर है लेकिन जुमलेबाजी मंजूर नही है। डिनर पार्टी के अगले ही दिन जिले के कुछ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के पत्रकार एसपी राकेश शंकर के दरबार मे ये बताने पहुँचे कि वे उनकी डिनर पार्टी में क्यो नही शरीक हुए और जमकर शिकायत भी किये। फिलहाल देवरिया जिले के पत्रकार दो गुटों में बट गए है।
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