: जो वाकई दागी हैं, उन्होंने भी खुद को वरिष्ठ और पत्रकार का दावा ठोंका : देवरिया में हैं गजब-अजब पत्रकार, एक तो दोहरे हत्याकांड के अभियुक्त भी रह चुके : पत्रकारों और वकीलों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं पर बर्बर लाठीचार्ज के खिलाफ एक शब्द भी नहीं निकाला :
मेरी बिटिया संवाददाता
देवरिया : निकाय चुनाव मतगणना के दौरान पुलिस की लाठियों से वकीलों, पत्रकारों और सामाजिक लोगों की खोपड़ी चिटकाने वाले पुलिस दल के कप्तान राकेश शंकर अब नया दांव चला रहे हैं। लाठियां बरसाने के बाद पत्रकारों को टुकड़े खिलाने वाली पुलिस अधीक्षक की यह कोशिश भले ही निर्मूल हो चुकी हो, लेकिन चलते-चलते राकेश शंकर ने कुछ ऐसा दांव चला ही दिया कि देवरिया की अब तक अक्षुण बनी रही पत्रकारों की मजबूती और एकजुटता पर ही भारी कुठाराघात हो गया। नतीजा, यह एकजुटता साफ तौर पर दो-फाड़ हो चुकी है।
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एसपी के यहां आयोजित रात्रिभोजन का बहिष्कार भले ही उस रात सारे पत्रकारों ने एकजुट होकर किया हो, लेकिन अगले ही दिन उसमें मीन-मीन लगा कर पत्रकारों की एक टोली ने सीधे पुलिस कप्तान से भेंट की, और परस्पर गिले-शिकवे खत्म करने की कवायद शुरू कर दी। इतना ही नहीं, इन पत्रकारों ने एसपी और डीएम से यह भी मांग कर ली, कि जिले में कई तथाकथित फर्जी पत्रकारों के चलते ही प्रशासन और पत्रकारों के बीच संवादहीनता की खाई गहरी होती जा रही है। आरोप लगाया कि ऐसे फर्जी पत्रकार अब अश्लील टिप्पणी करते हैं, और उन पर तत्काल ठोस कार्रवाई होनी चाहिए।
हैरत की बात है कि पुलिस अधीक्षक से मिल कर यह मांग करने वाले इन पत्रकारों ने अपने खिलाफ जुमलों पर तो कार्रवाई करने की मांग कर ली, लेकिन पत्रकारों और वकीलों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं पर बर्बर लाठीचार्ज के खिलाफ एक शब्द भी नहीं निकाल सके। जबकि निकाय चुनाव मतगणना के दौरान पुलिस ने भारी लाठीचार्ज कर कई वकीलों और वकीलों का सिर तक बुरी तरह तोड़ दिया था।
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वहीं सूत्रों का दावा हैं कि एसपी के डिनर पार्टी में ना जाने के लिए किए गए जुमलेबाजी से अपने को अपमानित समझ अपने आप को ईमानदार साबित करने में लगे जिले के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने शहर के सिविल लाइंस पर एक बैठक की जिसमे पत्रकारों द्वारा किये गए जुमलेबाजी को असंसदीय टिप्पणी घोषित किया गया और देवरिया जिले में फर्जी पत्रकारों के खिलाफ एसपी और डीएम से शिकायत की गई है।
बहरहाल, कप्तान के पहलू में बैठ कर एसपी से भेंट करने वाले लोगों में इंडिया न्यूज चैनल से घनश्याम मिश्रा, ईटीवी से उमाशंकर भट्ट, एनडी टीवी से विनोद द्विवेदी, भारत समाचार से मनीष मिश्रा, जी न्यूज़ से त्रिपुरेश त्रिपाठी, एवीपी न्यूज़ से संजीत शाही, न्यूज़ नेशन से संदीप तिवारी, स्वतंत्र भारत से मनोज शुक्ला, आजतक से राम प्रताप सिंह समेत नन्हें खान, ओम प्रकाश श्रीवास्तव, वेद प्रकाश दुबे, मृतुन्जय समेत कई प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों ने अपनी सहमति और उपस्थिति दर्ज कराई। यहीं नही बैठक करते हुए फ़ोटो के साथ फेसबुक पर बाकायदा पोस्ट किया गया है किया गया है कि सम्मान के साथ खिलवाड़ करने वालों की अब खैर नहीं।
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बैठक में उपस्थित कुछ पत्रकार एक-साथ दो-दो न्यूज़ चैनलों की आईडी लिए अपने को पाक साफ समझते है और कुछ अख़बार से मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं जो न्यूज़ चैनल की आईडी थामे अपने को फर्जी पत्रकारों के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले पत्रकार साबित करने में लगे हैं। साथ ही कुछ इंटर तक कि योग्यता रखने वाले है और इनमें से एक पत्रकार दोहरे हत्याकांड के अभियुक्त भी रहे है। फर्जी पत्रकारों के बैठक में शामिल कुछ पत्रकारों ऐसे भी है जिनका बिना दलाली किये एक दिन भी गुजारा ना हो पाए। यही नही जिले के कुछ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार आंगनबाड़ी, मिड डे मील, ग्राम प्रधानों और और सड़क निर्माड कार्यो आदि की जांच कराने की धमकियो से ब्लैकमेल कर धन उगाही करते है और न्यूज़ चैनलों के नाम पर बट्टा भी लगाते हैं।
